दोस्तों हमारा मानना है कि जो हमारे ऋषि मुनि हुआ करते थे, वह एक प्रकार से प्राचीन समय में वैज्ञानिक हुआ करते थे। यह ऋषि मुनि ही नई - नई रिसर्च किया करते थे और उनका संकलन भी अपनी पुस्तकों के द्वारा करते थे। ऐसे ही हम आज पांच प्राचीन विज्ञानियों के द्वारा पुत्र प्राप्ति के जो सूत्र दिए गए। उनके विषय में आपको बताने जा रहे हैं।
दोस्तों इसमें जो सूत्र दिए गए हैं, उसमें पुत्र ही नहीं बल्कि अगर आप पुत्री संतान के रूप में चाह रहे हो तो भी आप पुत्री को प्राप्त कर सकते है । पुत्र प्राप्ति के लिए घरेलू उपाय , पुत्र प्राप्ति के लिए नारियल का बीज कब खाना चाहिए , शिव पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के उपाय , केवल पुत्र प्राप्ति के लिए , गरुड़ पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के उपाय , पुत्र प्राप्ति के लिए मंत्र , पुत्र प्राप्ति के लिए गर्भधारण कब करें , पुत्र प्राप्ति के लिए गर्भधारण कब करें? , नवरात्रि में पुत्र प्राप्ति के उपाय , नवरात्रि में पुत्र प्राप्ति के उपाय क्या आप भी इस सवालों से परेशान है । और आपको पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रहा है और वंश को आगे बढ़ने के लिए घर में पुत्र की प्राप्ति चाहते है तो आप इस पोस्ट को अन्त तक बढ़े ।
गरुड़ पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के उपाय
गरुड़ पुराण के अनुसार मासिक धर्म के चार दिन महिला को अपने पति को चेहरा नहीं दिखाना चाहिए। और पति को भी चेहरा नहीं देखना चाहिए। चौथे दिन के बाद स्नान करके पति पत्नी साथ रह सकते हैं। लेकिन संतान प्राप्ति के लिए बिल्कुल भी कोशिश नहीं करनी है। ब्रह्मचर्य का पालन करना है। यह ब्रह्मचर्य आपको 7 दिन तक निभाना है। गरुड़ पुराण के अनुसार आठवें दिन ईश्वर की स्तुति करके संतान प्राप्ति की कोशिश करनी है। इस दिन से प्राप्त संतान पुत्र होगी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य स्थिति से पुत्र प्राप्ति
यही बात एक प्राचीन संस्कृत की पुस्तक सर्वोदय में भी वर्णित है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य के उत्तरायण रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्र की प्राप्ति होती है। नासिका निश्चित करके पुत्र प्राप्ति चंद्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री पुरुष के दाया, बाया , आनाडी, सूर्य स्वर तथा चंद्र स्वर की स्थिति पर निर्भर करता है। उत्तर प्राप्ति के निश्चित दिन सप्ताह में मंगलवार गुरुवार तथा रविवार पुरुष दिन है।
अगर इन दिनों गर्भ ठहरता है तो पुत्र प्राप्ति की संभावना बहुत ज्यादा होती है। बुध और शनिवार नपुंसक दिन है। आप समझदार व्यक्ति को इन दिनों का ध्यान करके ही गर्भाधान करना चाहिए।
शिव पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के उपाय
2500 वर्ष पूर्व लिखित चरक संहिता में भगवान अत्रि कुमार के अनुसार पुरुष में वीर्य की सफलता से पुत्र पैदा होता है। कहीं ना कहीं इसका अर्थ यहीं निलकता है की अगर महिला पहले चरमोत्कर्ष पर पहुंचती है तो पुत्र प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
सुश्रुत संहिता के अनुसार शुक्ल पक्ष में पुत्र प्राप्ति के उपाय
2000 वर्ष पूर्व प्रसिद्ध चिकित्सा अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में स्पष्ट लिखा है कि मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र जन्म लेता है, लेकिन यह तारीख शुक्ल पक्ष में होनी चाहिए। शुक्ल पक्ष में पुत्र प्राप्ति के उपाय के रूप में यह विधि समाज में बहुत प्रचलित है।
पुत्र प्राप्ति के सरल उपाय
अपनी कुंडली के अनुसार किसी भी शुभ मुहूर्त में या कुंडली नहीं है तो पंडित के अनुसार किसी भी शुभ मुहूर्त में संतान गोपाल मंत्र के सवा लाख जाप शुरू कीजिए। यह जाप संकल्प लेकर कीजिए । इसका विधि विधान आप किसी भी ज्ञानी ब्राह्मण से जान सकती हैं जो आपकी ही आसपास आपको मिल जाएंगे। उनके सानिध्य में इस जाप को पूरा करें। जाप शुरू करने से पहले आप श्री गणेश को नमन अवश्य करें। साथ ही बालमुकुंद लड्डू गोपाल जी भगवान की पूजन करें। उनको माखन मिश्री का भोग लगाएं।
पुत्र प्राप्ति के लिए घरेलू उपाय
बहुत से ऐसे लोगो है जिनको केवल पुत्री का ही प्राप्ति हो रहा है उनके घर वंश वृद्धि में बाधा हैं। उनके घर में संतान का उत्पत्ति नहीं हो है लोग तरह तरह के उपाय कर चुके है फिर भी पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रहा है जिसके कारण लोग डॉक्टर से या मंत्रोचार या जो कुछ भी लोग बताते हैं उसको करते लेकिन फिर भी उनको निराशा ही हाथ लगती है।
संतान प्राप्ति के लिए नियम
संतान प्राप्ति के लिए जो भी माता इच्छुक हैं, उनको कुछ नीचे बताए गए नियम को पालन करने की जरूरत है जो भी स्त्री पुत्र को जन्म देना चाहती हैं। यह प्राप्त करना चाहती हैं। उनको विशेष रूप से इस नियम को पालन करना है। जब स्त्री को अशुद्धि अवस्था प्रारंभ होता है। इस दिन से ये नियम को शुरू करना है
मान लीजिए किसी स्त्री को अशुद्धि अवस्था आज रात्रि 12:00 बजे के बाद से लेकर कल के रात्रि 12:00 बजे के पहले तक के बीच में जब शुरू रही है उसी दिन से अशुद्धि अवस्था को गिनने का प्रारंभ किया जाएगा। जैसे किसी रात्रि को आज अशुद्धि अवस्था शुरू हुआ है। तो उस दिन से 4 से 18 दिन तक गृहस्थ मर्यादा को स्वीकार करना है।
इस दिन के अलावा किसी भी दिन आप को गृहस्थ मर्यादा को स्वीकार नहीं करना है। इस नियम को कड़ाई से पालन करेंगे तभी यह एक सौ परसेंट काम करेगा जैसे यदि किसी स्त्री अशुद्धि अवस्था आज रात्रि 12:00 बजे के बाद शुरू हुआ तो उसको आज से 4 दिन गिनती करना है। यदि किसी स्त्री को अशुद्धि अवस्था आज रात्रि के 12:00 के 1 मिनट पहले 5 मिनट पहले भी शुरू हुआ तो उसको कल से 4 दिन गिनती करना है।
- चौथे दिन स्त्री के साथ गृहस्थ मर्यादा को स्वीकार करने से जो पुत्र का प्राप्ति होगा। वह पुत्र रोगी तथा जीवन में दुख को ही प्राप्त करेगा।
- छठवें दिन गृहस्थ मर्यादा को स्वीकार करने से जो पूर्व जन्म लेगा, वह पुत्र भी रोगी होगा । कुकर्मी होगा तथा उसको जीवन भर परेशानी ही परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
- आठवीं दिन गृहस्थ मर्यादा को स्वीकार करने से जो पुत्र जन्म लेगा, संतान उत्पन्न होगा। वह संतान अच्छे स्वभाव वाला अच्छे विचार तथा एक स जीवन उच्च विचार वाला संतान होगा।
- 10 दिन गृहस्थ मर्यादा को स्वीकार करने पर। जो पुत्र या संतान होगा। वह पुत्र पढ़ाई में तथा उसके जीवन में दुख का सामना नहीं करना पड़ेगा तथा उसके जीवन में धनिया लक्ष्मी का कमी नहीं होगा।
- 12 दिन गृहस्थ मर्यादा को स्वीकार करने से जो पुत्र संतान जन्म लेगा वह पुत्र राजा के समान राजस्वी तेजस्वी ओजस्वी देश के शासन प्रशासन को चलाने वाला एक बहुत ही विद्वान पुत्र संतान होगा।
- 14 दिन गृहस्थ मर्यादा को स्वीकार करने से जो पुत्र होगा वह पुत्र महर्षि धर्मात्मा पुण्यात्मा भगवान का सबसे प्रिय भक्त के समान होगा। उसको अपने जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होगा तथा उस संतान का नाम पूरे दुनिया में लोग एक आदर्श के रूप में जानेंगे। ऐसे ओजस्वी तेजस्वी पुत्र को प्राप्त करने के लिए 12 एवं 14 दिन गृहस्थ मर्यादा को स्वीकार करना चाहिए।
गृहस्थ मर्यादा को कब स्वीकार नहीं करना चाहिए।
किसी भी स्त्री तथा पुरुष को कुछ दिन वैसे होते हैं। जिस दिन दिन पृष्ठ मर्यादा को स्वीकार नहीं करना चाहिए क्योंकि उस दिन स्त्री के साथ गृहस्थ मर्यादा स्वीकार करने से जो उतरी जन्म लेता है, वह बहुत ही कष्ट, कारी, दुखदाई से भरा हुआ रोगी तथा चोर डकैत के विचार वाला पुत्र तथा पुत्री का जन्म होता है। अवस्था जिस दिन शुरू होता है उस दिन से लेकर चौथे दिन पांचवे दिन छठवें दिन सातवें दिन 13 दिन स्त्री के साथ गृहस्थ मर्यादा स्वीकार करने से जो पुत्र या पुत्री जन्म लेता है वह अच्छे विचार अच्छे व्यक्तित्व तथा निरोगी पुत्र या पुत्री नहीं होता है। इसलिए इस दिन को छोड़कर बाकी जो दिन बतलाया गया है। उस दिन स्त्री के साथ संबंध बनाने से गृहस्थ मर्यादा को स्वीकार करने से जन्म लेता है। वह तेजस्वी ओजस्वी होता है।
गृहस्थ मर्यादा को चौथे दिन छठवें दिन आठवें दिन 10 दिन 12 दिन 14 दिन 16 दिन इस दिन के अलावा किसी भी दिन 12:00 रात्रि के बाद 1 मिनट या 2 मिनट के बाद भी आप गृहस्थ मर्यादा को स्वीकार नहीं करेंगे ।
तो दोस्तो ये था आज का पोस्ट पुत्र प्राप्ति के लिए घरेलू उपाय | शिव पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के उपाय के बारे में हम उम्मीद करता हूं यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा तो आपने दोस्तो के साथ शेयर करना ना भूलें ।
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