मित्रों हिंदू धर्म में यूं तो कई धारणाएं हैं जिन्हे लोग बेवजह ही मानते है । लेकीन आगर आप उन भावनाओं को समझने की कोशिश करेंगे तो आपको भी उनकी सही वजह समझ आ जाएगी।
एक ऐसे ही धारणा है कि मासिक धर्म होने पर खाना नहीं बनाना चाहिए । लेकीन क्या आप जानते है की मासिक धर्म के दौरान खाना क्यों नहीं बनाना चाहिए आगर नहीं जानते है तो आज यही जानने की कोशिश करेंगे । आज की इस पोस्ट में तो चलिए जानते है (मासिक धर्म में खाना बनाना चाहिए या नहीं)
मासिक धर्म में खाना बनाना चाहिए या नहीं
मासिक धर्म होने के दौरान खाना क्यों नहीं बनाना चाहिए । इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले ये जान लेते है इससे जुड़े नियम बनाया किसने थे ।
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार मासिक धर्म से जुड़े नियम भगवन शिव ने माता पार्वती के कहने पर पर बनाए थे । इन नियम का उल्लेख मनुस्मृति और भविष्य पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है जिसके अनुसार मासिक धर्म के दौरान किसी भी महिलाएं को धार्मिक कार्य नहीं करना चाहिए ।
मासिक धर्म होने क्या नहीं करना चाहिए
साथी महिला को ना रसोई में जाना चाहिए और ना ही खाना बनाना चाहिए इसके अलावा मासिक धर्म के दौरान महिला को अपने पति और बच्चों से भी दूरी बना कर रखनी चाहिए ।
और अगर हो सके तो महिला अलग कमरे में रहना चाहिए । भविष्य पुराण मे कहा गया है की मासिक धर्म होने पर महिला को अपने गुरु बड़े बुजुर्गों से भी दूर रहना चाहिए और उनके चरण स्पर्श नहीं करने चाहिए।
इसके अलावा आगर बात करे भगवत पुराण की तो मासिक धर्म को एक तरह का पाप ही बताया है भगवत पुराण में लिखित एक कथा के अनुसार
एक बार देवराज इंद्र अपने सभा में बैठे थे तभी वहां गुरु बृहस्पति आए देवराज इंद्र को इतना अहंकार था की वो देव गुरु बृहस्पति के सम्मान में कड़े तक नहीं हुए । जिससे नाराज होकर बृहस्पति वहां से लोट गए देव गुरु के चले जाने के बाद देवताओं ने विश्वरूप को अपना क्रोधित बना लिया लेकीन विश्वरूप चोरी छिपे देवताओं के अलावा आसुरो को भी यज्ञ करता जब ये बात इंद्रदेव को पता चली तो वो क्रोधित हो गए ।
देवराज इंद्र को इतना क्रोध आया की उन्होंने बिना कुछ सोचे समझे विश्वरूप का सर काट दिया मित्रों जैसा कि आप जानते है की हिंदू धर्म में गुरु की हत्या को सबसे बड़ा पाप माना गया है। और क्रोध वसी देव राज भी इस महा बाप के भागीदारी बन चुके थे ।
इसके बाद ब्रह्मा हत्या के पाप से खुद को बचाने के लिए इंद्र ने भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की थी जिसके बाद देवराज इंद्र के पापा को चार भागों में बटा गया पेड़ , जल भूमि और इसरी में बटे ।
ऐसा कहा जाता है को महिलाओं को हर माह होने वाला मासिक धर्म इंद्रदेव के उसी पापा का फल हैं । खेर ये तो थी मासिक धर्म और उससे जूनी पुरानी कथा चलिए अब ये भी जान लेते है कि क्यों मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को कई चीजे नहीं करने की सलाह दी जाती है ये फिर यू कहे उन्हें कुछ खास तरह के काम करने से रोका जाता है ।
तो मित्रों आपने देखा होगा की घर के बड़े बुजुर्ग खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले महिलाएं को मानसिक धर्म होने पर खाने बनाने से मना करता है । आज कल इस तरह की सोच को रूढ़िवादी मान लिया गया है । और इसे महिलाएं पर एक तरह का अत्याचार बताया जाता है आज के लोग सोचते है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को दूरी बना कर रहने के लिए कहते हैं । मंदिर जाने से रोकना , यहां तक कि रसोई में ना जाने देना छुआछूत की तरह है जिससे महिलाओं को आत्म सम्मान को ठेस पहुंची है ।
मासिक धर्म होने पर क्या पूजा करना चाहिए
लेकीन मित्रों क्या आप जानते है कि इन नियम को के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी है महिलाओं को पूजा ना करने और खाना ना बनने की शुरुआत के पीछे मासिक का ये है कि उन्हें इस दौरान आराम की जरूरत होती है क्योंकि इससे होने वाली पीड़ा से महिलाओं में काफी कमजोरी आती है ।
और दोस्तो ये तो आप जानते ही है कि पुराने समय में लोगो धर्म पर बहुत ज्यादा विश्वास करते थे । यही कारण है कि शिक्षा से जोड़ी ज्यादातर चीजों को धर्म से जोड़ कर देखा जाता था । ताकि लोग धर्म के नाम पर ही सही लेकिन कुछ अच्छी शिक्षा ग्राम कर सके ।
अब मासिक धर्म को ही देखे आपने सुना होगा इन दिनों में महिलाओं को पूजा ना करने या फिर मंदिर नहीं जाने की सिख दी जाती है अब इसका एक बड़ा कारण ये है की पहले के समय में पूजा मंत्र आचार्य के बिना नहीं होती थी या फिर यू कहिए कि पूजा मंत्र आचार्य के द्वारा ही की जाती थी ।
और ये तो आप भी जानते ही है की मंत्रों का सही उच्चारण करने से और पूरी विधि से पूजा करने में दिमागी और शारीरिक शक्ति लगती है । अब चुकी मासिक धर्म के दौरान महिला का शरीर पहले से ही कमजोर हो जाता है तो इस लिए महिलाओं को इस दौरान पूजा या अनुष्ठान करने रोका जाता है ।
वैसे अगर कोई महिला मंदिर जाना भी चाहती है वो उन्हें अंदर जाना दिया जाता है बस शर्त यह थी कि वो बिना छुए दूर से ही भगवान का आशीर्वाद ले ले । चलिए अब बात करते है कि क्या मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को खाना बनाना चाहिए या फिर नहीं ।
मासिक धर्म में खाना बनाना चाहिए या नहीं
तो जैसा की हमने समझा कि इन दिनों में महिलाओं को खाना या फिर घर का कोई दूसरा काम नहीं करना चाहिए ऐसे स्थिति में हो सके तो दूसरी महिलाएं को ही घर के काम करने चाहिएं और आगर घर में कोई दूसरी महिलाएं नहीं हैं । तो फिर महिलाएं के पति या फिर बच्चो को भी घर के काम हाथ बटाना चाहिए ।
दोस्तों अगर ऐसे भी नहीं हो सकता और किसी कारण से महिला को खाना बनाना ही पड़ता है तो बता दू ये कोई पापा नहीं है आगर आप चाहे तो खाना बना सकते है क्योंकि ये पूरी तरह से आपकी इच्छा पर निर्भर करता है । हम तो बस वो बता रहे जो हमारे शास्त्र कहते हैं ।
तो दोस्तो आज की ये परिस्थिति आपको कैसी लगी नीचे comment करके जरूर बताइएगा पोस्ट अच्छी लगी होगी तो इसे आपने दोस्तो के साथ शेयर करना ना भूले ।
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