Sunday, November 14, 2021

मांग में सिंदूर भरने का मतलब | मांग में सिंदूर क्यों लगाया जाता है

By:   Last Updated: in: ,

मांग में सिंदूर क्यों लगाया जाता है , मांग में सिंदूर कितनी बार लगाना चाहिए? ,मांग में सिंदूर का क्या महत्व है? , मांग भरने की विधि , 

मित्रों महिलाओं की मांग में सजने वाले इस  लाल सिंदूर का सनातन धर्म विशेष महत्व हैं विवाहित महिला के लिए ये सिंदूर सुहाग का प्रतीक हैं । जिसे वो आपने सम्मान से जोड़ कर भी देखती है लेकिन आज कल आधुनिकता के चलते कुछ महिलाओं सिंदूर गलत जगह लगा लेते हैं और कई ऐसी महिलाएं भी देखने को मिलेंगी जो सिंदूर लगाती ही  नहीं हैं । 


जबकि धार्मिक रूप से ऐसा करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है और  ऐसा करने पर कई दुष्ट परिणाम भी झेलने पड़  सकते हैं।

तो आए दोस्तों साथ मे मिलकर जानते हैं मांग में सिंदूर भरने का मतलब ओर मांग में सिंदूर क्यों लगाया जाता है ओर इसे गलत जगह लगाने पर क्या - क्या अनर्थ  हो सकते हैं नमस्कार ओर स्वागत है आप सब का Hindi Blog में 

मांग में सिंदूर भरने का मतलब

मित्रों हिन्दू धर्म में जब एक लड़की का विवाह होता हैं तो उसकी मांग में सिंदूर भरा जाता है इस प्रकार जो पहचान में बनती है उसका अटुट समंध पति से होता हैं मान्यता है कि  विवाहित स्त्री जितनी लंबी मांग भारती पति की आयु भी उतनी लंबी होती है। 

इसीलिए ज्यादातर महिलाएं मांग भर कर सिंदूर लगाती है।  सिंदूर का संबंध अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही पत्नी की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ भी होता है। मांग में ऐसे सिंदूर लगाने का इतिहास करीब - करीब 5 हजार साल पुराना है  कई सारी धार्मिक और पौराणिक कथाओं में भी इसका उल्लेख हमे मिलता हैं । 

जिसमें देवी माता पार्वती ओर माता सीता की कहानिया भी समलित है पार्वती जी भी आपने  पति महादेव को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए सिंदूर लगाती थी। वही मां सीता प्रभु श्री राम की लंबी उम्र की कामना ओर मन की  खुशी के लिए सिंदूर लगती थी । 

तो वही महाभारत महाकाव्य में द्रोपदी नफरत और निराशा में आपने माथे का सिंदूर पोछ देती हैं एक अन्यमान्यता के अनुसार मां लक्षमी का पथ्वी पर 5 जगह पर वास है इनमें से एक जगह सिर भी है इसलिए विवाहित महिलाएं मांग में सिंदूर भर्ती हैं ताकी उनके घर मे लक्षमी का वास हो और सुख सम्रद्धि आये सायेद इसलिए हमरसोय ने सौभाग्य वर्धनम नाम दिया है । 

दोस्तों सिंदूर का चरण भले ही पौरणिक काल से रहा हो लेकिन तब से लेकर आज तक जब एक लड़की की मांग में सिंदूर भरा जाता है तो उसकी एक अलग सामाजिक पहचान कायम हो जाती है 

सिंदूर इस्त्री विवाह के बाद भी लगा सकती हैं विवाह एक पवित्र बंधन है 16 संस्कारों में इसे इसे विशेष महत्त्व प्राप्त है।

 इस पवित्र बंधन में बनने से पहले कोई रस्में पूरी कीं जाती है जिनमें से सबसे अहम ये सिंदूर दान ही होता है। सिंदूर लगाने का सही तरीका । 

सिंदूर कैसे लगाये? सिंदूर लगाने का सही तरीका 

 विवाहित स्त्री को हमेशा मांग के मध्य में ही सुंदर भरना चाहिए ऐसा करने से पति के मन से अकाल मृत्यु भय समाप्त हो जाता हैं । 

वही कुछ महिलाएं मांग के बीच वाले भाग को छोड़ कर इधर या उधर सिंदूर लगा लेती है पर ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पति पत्नी के बीच विवाद की इस्तिथ उत्पन्न हो सकती हैं और दोनों में दूरियां बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। 

कई महिलाएं अपने सिंदूर को बालों के अंदर छिपा लेती या तो फिर सुंदर बस नाम मात्र लगाती है । 

हिन्दू धर्म सत्रों के मोताबिक ऐसा करने से उसके पतियों को  अपने कार्य क्षेत्र में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है तथा पति की सामाजिक प्रतिष्ठा की भी  हानि हो सकती है।

 शायद उनको ये  नहीं पता कि टेड़ी मेडी  मांग भरने से या फिर  सिंदूर लगाने से  उनके पति के भाग्य पर बहुत  बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसी महिलाओं के पतियों को उनके मन मुताबिक मुकाम हासिल नहीं हो पाता। ऐसे लोगों को समाज मे खुल कर जीने में भी  परेशानी होती है और उनमें आत्मविश्वास की कमी आ सकती है।

इसलिए सिंदूर को जितना लंबा और आगे  तरह फैल लगाया जाए। उतना ही उस महिला के पति व्यकय अच्छा प्रबल होता है क्योंकि माथे  पर सिंदूर लगाने से स्त्री की सक्ति जागृत रहती है । मित्रों ऐसा भी कई बार देखा गया है कि कई बार सोहागन आपने घर की डिबिया का सिंदूर दुसरो को भी लगाने के लिए दे दिया जाता है । 

लेकिन ऐसा कदापि नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे परिवार में क्लेश  हो सकता है और आपका सोहाग बट भी सकता हैं ।  शास्त्रों में इस बात पर खासा जोर दिया गया है। 

की इस्त्री को हमेशा न कि सिर पर माथे ओर मांग में सिंदूर लगाना चाहिए लेकिन अब वक्त के साथ - साथ जीवन सेली में काफी बदलाव आ चुका है। ऐसे में पूरी तरह शास्त्रों के अनुसार चलना भी काफी मुश्किल है। 

आज महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। वो भी डावतरो में काम करने के लिए जाती है। ऐसी काम गर महिलाओं के लिए भी सिंदूर लगाने का अलग परब्धम है जिसके अनुसार दफ्तर में काम करने वाली महिला या फिर किसी ओर कारण से कोई महिलाएं सिंदूर नही लगा सकती तो कम से कम जो आपके तेहवार होते आपकी साल गिरे होते हैं अथवा आपके घर में कोई विशेष पूजा पाठ का आयोजन होता है। उस दिन तो सिंदूर लगाना ही चाहिए । 

करवा चौथ एवं तीज जैसे तेहवरो के दिन  शास्त्रों के अनुसार अपनी मांग में सिंदूर जरूर लगाए। क्योंकि यही सिंदूर आपके सोहागन की निशानी होती है । सिंदूर लगा कर अगर आप कोई भी शुभ कार्य पूजा-पाठ करते हैं तो उसका फल आपको कई गुना ज्यादा मिलता हैं । 

नवविवाहित महिलाएं इस बात का विशेष ध्यान रहे कि जो विवाह के समय उन्हें सिंदूर लगाया जाता है, उस सिंदूर को  संभाल कर रखना चाहिए ओर जब कोई विशेष कार्य अथवा विशेष पूजा आपके घर पर में आयोजित की जाए तो  उस समय आप उस सुंदर  को लगाएं।

 इससे विवाह के समय आपको जो विशेष आशीर्वाद मिलता है, उसे आपको हमेशा कार्य में सफलता मिलती है तथा आपके परिवार में खुशी और ओर सम्रद्धि बानी रहती है इसके  साथी कभी भी महिला को वेगर नहाये सिंदूर नहीं लगाना चाहिए। सबसे पहले विवाहित महिलाओं स्नान करके सिंगर के समय सिंदूर लगाना चाहिए और उसके बाद ही पूजा पाठ करनी चाहिए । 

 मित्रों धार्मिक मत्व के अलावा इसके कुछ विज्ञानिक कारण भी जिनके अनुसार सिंदूर महिलाओं की शांति में सहयक होता है इनसे ब्लड प्रेशर तथा पीयूष ग्रन्थि भी नियंत्रित रहती हैं ।

तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने जाना कि मांग में सिंदूर भरने का मतलब | मांग में सिंदूर क्यों लगाया जाता है इसके बारे में पूरी जानकारी उम्मीद करता हूँ यह पोस्ट आपको पसन्द आया होगा तो आपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले ।


मांग में सिंदूर लगाने से क्या होता है?

 मांग भरने से क्या होता है?

 मांग में सिंदूर लगाने से खुजली क्यों होती है?

 मांग में सिंदूर कितनी बार लगाना चाहिए?

 कौन सा सिंदूर लगाना चाहिए?

 मांग में सिंदूर क्यों लगाया जाता है?

 सिन्दूर का मतलब क्या होता है?

 सुहागन को सिंदूर कैसे लगाना चाहिए?

1 comment:
Write comment