दोस्तों एक बार फिर से स्वागत है आपका Hindi me help Blog में भारत में फांसी कैसे दी जाती है | भारत में फांसी के नियम हमारे भारत में सबसे खतरनाक सजा फांसी को ही माना जाता है। बीते सालों में बहुत से लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। फिर चाहे कसाब हो या फिर चाहे रेफ किस वाले मुजरिम हो लेकिन दोस्तों फाँसी का नाम सुनते ही सबसे पहले मौत सामने दिखाई देने लगती है और शायद ही कभी कोई अपने आप को फांसी पर लटक कर मरता हुआ देखना चाहेगा।
पर कुछ लोग जुर्म के अंधेरे में इतना ज्यादा खो जाते हैं कि उनका अंत फांसी से ही तय होता है। ऐसे में क्या कभी आपने सोचा है, कैसे होती है फाँसी , कैसा होता है फाँसी घर , किस तरह अपराधियों को फांसी लगाई जाती है , किस तरह जल्लाद अपराधियों को मौत के घाट उतारा है और फांसी की तैयारी करने वाले टीम मेंबर की क्या मनोदशा होती होगी । और किस तरह वो खुद को मानसिक तौर पर तैयार करते होंगे। की मुझे एक इंसान की पूरी जिंदगी खत्म करनी है ।
और तो और बासी घर के पहरेदार ऐसा क्यों मानते हैं कि रात के समय में फांसी पर लटकाए गए सख्त का भूत ने थप्पड़ मारता है।
दोस्तों इस पोस्ट में आपको फांसी किस जुर्म में दी जाती है , भारत में फांसी के नियम , भारत में फांसी की सजा किस जुर्म में दी जाती है , ओर फांसी के दिन क्या-क्या होता है के बारे में सब कुछ देने वाला हूँ जिन्हें सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
फाँसी कैसे दी जाती है
जल्लाद बांधता है आरोपी को
दोस्तों फांसी के समय में आरोपी को पीछे करके उसी समय बांध दिया जाता है। जब उसे काल काल कोटरी से निकाल कर फांसी घर लेकर जाया जाता है। फांसी की सजा पाने वाले इंसान के पैरों के नीचे सफेद घेरा खिंचा जाता है ताकि कालकोठरी पर लाए इंसान को उसे सफेद घेरे के अंदर दोनों पांव रख कर खड़ा कर दिया जा सके। इस निशान के ठीक हूं ऊपर ही वो रसी का फंदा लटक रहा होता है ।
जिसे अपराधी के खड़े होते ही बिना वक्त गंवाए उसके गले में लटका दिया जाता है। यह काम जल्लाद का होता है। वो बांधते समय जल्लाद इस बात का बहुत ध्यान देता है कि आरोपी कहीं अपने पैरों से जल्लाद को मारना दे ।
दोषी का मुंह क्यों ढका जाता है ?
दोस्तों जब अपराधी को कालकोठरी से फांसी घर लाया जाता है तो उससे पहले ही दोषी के चेहरे को काले कपड़े से ढक दिया जाता है ताकि वह जल्लाद फांसी को देखकर घबराई ना क्योंकि अक्सर लोग जब अपनी मौत को नजदीक देख लेते हैं, तो उनकी सांसे ऊपर नीचे होने लगती है। अपराधी के साथ ऐसा ना हो इसलिए उसके चेहरे को पहले ही काले कपड़े से ढक दिया जाता।
फाँसी की सजा मिलने से पहले अगर कोई अपनी वसीयत लिखवाने की इच्छा जाहिर करें तो वसीयत लिखने की जिम्मेदारी फांसी घर में मौजूद मजिस्ट्रेट की होती है ।
फाँसी का सामान
दोस्तों अगर हम फांसी के सामान की बात करें तो खटका , रुमाल , रस्सी , सफेद घेरा , और रेत का बोरी का फांसी के वक्त सबसे अहम रोल होता है। असल में दोस्तों जल्लाद अपनी भाषा में फांसी देने वाले लीवर को खटका कहता है।
जल्लाद के लिवर खिंचते ही फांसी की सजा पाए। नीचे इंसान के नीचे मौजूद ताकता दो हिस्सों में खुलकर कुएं के अंदर जाकर खुल जाता है और इसके साथ एक मामूली सी आवाज के साथ इंसान का शरीर खुए के अंदर गर्दन में मौजूद फांसी के फंदे के सहारे होने लगता है।
फाँसी के वक्त जो रुमाल इस्तेमाल किए जाते हैं, उनका रंग काला लाल या फिर सफेद हो सकता है। एक रुमाल फांसी की सजा पाए इंसान के चेहरे को ढकने के काम में आती है तो वहीं दूसरा रुमाल जेलर जल्लाद को लीवर खींचने के लिए इशारे के लिए इस्तेमाल करता है क्योंकि अगर जेलर जल्लाद को लीवर खींचने के लिए बोलेगा तो फांसी मिलने वाले इंसान को पता चल जाएगा और इसकी वजह से वह घबरा जाता है। ऐसा ना हो इसलिए केवल रुमाल दिखाकर जल्लाद को इशारा किया जाता है कि अब लीवर की सकता है।
फांसी घर में राशियों ताक़त भी तीन होती है। दो रशियो से एक ही तत्पर दो अलग-अलग फांसी के फंदे बनाए जाते हैं ताकि एक राशि के काम ना करने पर दूसरे रसी का इस्तेमाल किया जा सके।
मौत की सजा पाया शख्स नहीं देख पाता। जल्लाद को ?
अब दोस्तों जल्लाद के बारे में कोई कुछ भी क्यों ना सोचे, लेकिन वह हमारी और आपकी तरह ही आम इंसान होता है। इसका काम ही धर्म के रास्ते पर चलने वाले लोगों को मौत के घाट उतारना होता है और यह वजह है कि कोई भी फांसी देने वाले जल्लाद को देख नहीं पाता।
फाँसी तकते की लकड़ी की मिलती है। मुंह मांगी कीमत
दोस्तों आपको बता दें जो फांसी का तख्ता होता है। उसकी लकड़ी की कीमत जेल के बाहर मुंह मांगी मिलती है। यह बात जब धीरे-धीरे तिहाड़ जेल के आला अफसरों के कानों तक पहुंची तो पूरी तरह से हैरान हो गए। उनके शहर में शंका उत्पन्न होगी। कहीं चंद पैसों के लालच में जेल की गर्मी फांसी तख्ते की लकड़ी की कालाबाजारी में ना पड़ जाए क्योंकि इससे बहुत ज्यादा बदनामी होगी।
इसलिए इस समस्या से निपटने का एक बेजोड़ समाधान प्रशासन खोज लिया गया जेल प्रशासन ने रातोंरात लकड़ी के तत्वों का कटवा कर लोहे के भारी-भरकम पट्टी लगवा दिए। ये काम लोग निर्माण विभाग ने इसलिए किया क्योंकि फांसी घर के रखरखाव की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है।
रात के समय मे कौन फाँसी घर के पहरेदारों को मारता है थप्पड़ ?
अब यह बात तो आप भी जानते होंगे कि फांसी घर जैसे वीरान और डरावनी जगह की पहरेदारी करना। कोई आसान बात थोड़ी ना है कहा जाता है कि कई साल पहले तिहाड़ जेल के एक पहरेदार की रात के वक्त फांसी घर की रखवाली की ड्यूटी लगी थी। जब अकेले ही पहरेदारी की ड्यूटी कर रहा था। उसी वक्त पहरेदार को नींद की झपकी आ गई। तब उसे एहसास हुआ कि उसे कितने थप्पड़ मार कर उठाया है। अब जैसे उसे एहसास हुआ, वह पसीने से तरबतर हो गया। ओर ऐसा केवल एक बार नहीं हुआ बल्कि कई बार इस तरह की चीजें सुनने को मिली है।
लेकिन जेल के अधिकारी इन बातों पर विश्वास करने से इंकार कर देते हैं और पूरी तरह से इन चीजों को नजरअंदाज करना ही अपने लिए सही समझते हैं,
कुआं जिसमे लटकती है लाश
दोस्तों फाँसी के घर किसी की सेंट्रल जेल के अंदर एक अलग कोने में होता है ताकि वह रोजमर्रा की जिंदगी जी रहे आम कैदियों की नजर में ना आए। फांसी घर की जानकारी इस हद तक गुप्त रखी जाती है कि तमाम कैदी अपनी सजा काटकर बाहर भी निकल आते हैं और उन्हें पता ही नहीं चलता कि उनके जेल में फांसी घर। कहां है जेल के कोने में बने फांसी घर में एक सीमेंट का कुआं होता है। कुए में उतरने के लिए तीन से चार चिड़िया होती है।
जोलाई में बने कुएं के अंदर बमुश्किल एक से डेढ़ मीटर तक की ही जगह होती है। कुए के अंदर दो से तीन आदमी एक साथ खड़े हो सकते हैं। दोस्तों को कुआं के गोला कार रूप में काट यानी लकड़ी का ताकता होता है ।
जो कि बीच में दो हिस्सों का दिखाई देता है। लेकिन तख्ते को इस तरीके से डिजाइन किया जाता है कि वह देखने में बिल्कुल गोलाकार लगता है।
दोस्तों में पूरी उम्मीद है। फांसी से जुड़ी सभी जानकारी आपको मिल गई होगी। बाकी अब आप आपको इस पर क्या कहना कमेंट में बताइए और इसी तरह के पोस्ट लगातार पढ़ने रहने के लिए हमारे ब्लॉग hindi me help को सब्सक्राइब करना बिल्कुल ना भूलें और हां फिर मिलेंगे न्यू पोस्ट के साथ तब तक के लिए जय हिंद जय भारत।
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