होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है? भारतीय संस्कृति में त्योहारों एवं उत्सवों का आदिकाल से ही महत्व रहा है यहां मनाई जाने वाली सभी त्योहारों में होली का विशेष स्थान है । आए आज उसी बारे में जानते है कि होली क्यों मनाया जाता है। दक्षिण भारत और उत्तर भारत में इसे मनाने की क्या कारण है ओर होली कब मनाया जाता है तो चलिए सुरु करते है और जानते है । होली क्यों खेली जाती है
होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है
होली एक ऐसा रंग बिरंग त्यौहार है जिसे हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं प्यार भरे रंग से सजाया यह परब हर धर्म संप्रदाय जाति के बंधन खोलकर भाईचारे का संदेश देता है इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर गले लगते हैं और एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं बच्चे बड़े युवा सभी रंगों से खेलते हैं।
होली कब मनाया जाता है
फागुन मास की पूर्णिमा को होली दहन कर यह त्योहार मनाया जाता है और चैत्र महीने के पहले दिन रंगों से खेला जाता है इस दौरान पूरी प्रकृति और वातावरण बेहद सुंदर और रंगीन नजर आते हैं होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ी है ।
होली का महत्व क्या है?
उत्तर पूर्व भारत में होलिका दहन को भगवान कृष्ण द्वारा राक्षसी पूतना का वध दिवस के रूप में मनाया जाता है दक्षिण भारत में मान्यता है भगवान शिव ने कामदेव को तीसरा नेत्र खोल भस्म कर दिया था । तब कामदेव की पत्नी रति के दुख से द्रवित होकर कामदेव को पुनर्जीवित किया इस पर वर्सन होकर सभी देवताओं ने रंग-बिरंगे पुष्पों की वर्षा की थी पर इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है
होली की शुरुआत कैसे हुई ?
प्रचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक बलशाली राक्षस था जिसे ब्रह्मदेव द्वारा यह वरदान मिला था कि उसे कहीं भी मृत्यु का भय ना रहे मैं उसे मनुष्य मार सके ना पशु ना वो दिन में मारा जा सके ना रात में ना उसे घर के अंदर मारा जा सके ना घर के बाहर ना वो जल में मारा जा सके ना थल में और ना ही उसे किसी अस्त्र से मारा जा सके ना सस्त्र से उसके पास असिन सक्ति होने की वजह से मैं खुद को ही भगवान समझता था
अपने राज्य के सभी लोगों के साथ अत्याचार करता और सभी को भगवान विष्णु की पूजा करने से मना करता था पर उनका अपना पुत्र प्रहलाद विष्णु का परम भक्त था वह क्यों थे यह मैंने अपने दूसरे पोस्ट में बताया है प्रहलाद के विश्णु भक्ति से हिरण्यकश्यप करुधित होकर कठोर दंड दिया परन्तु प्रह्लाद ने ईश्वर भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ा तब हिरण्यकश्यप की बहन जिसको यह वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती उसने अपने भाई के साथ मिलकर प्रहलाद को मारने का यह उचित तरीका समझा और होलिका ने प्रहलाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया परंतु आपने वरदान का उपयोग अधर्म के लिए करने के कारण होलिका तो अग्नि में जलकर राख हो गई वही प्रहलाद भगवान विष्णु का नाम लेते हुए अग्नि से बाहर निकल आए उसकी जरा भी आंच भी नहीं आई फिर बहन होलिका के अधीन में दहन हो जाने से हिरण्यकश्यप अत्यधिक क्रोधित हो उसने गधा उठाई और भक्त प्रहलाद से बोला बहुत भगवान विष्णु का भक्त बना फिरता है बता कहां है तेरा भगवान प्रहलाद ने कहा मेरा भगवान से सर्वशक्तिमान है ।
वह कण - कण में व्याप्त है यहां भी है वहां भी है हिरण्यकश्यप ने एक खंबे की तरफ इशारा किया और कहा क्या इस ख़म्बे में भी है तेरा भगवान भक्त प्रहलाद ने कहा हां यह सुनकर हिरण्यकश्यप ने अपनी गदा लेकर खंबे की तरफ दौड़े वह खंबे पर गदा से प्रहार करने ही वाला था कि खंबे को फाड़कर उसमे से भगवान विष्णु ने नरसी अवतार में प्रकट हुए।
वह हिरण्यकश्यप उठा कर महल के प्रवेश द्वार की चौखट पर ले गए जो ना घर के बाहर था ना भीतर था वह गोंदली बेला की जब दिन था ना रात नर्सिया अबतार जो न नर था ना पशु अपनी जांघों पर रखकर जो ना धरती थी ना पाताल आपने तेज नाखूनों से जा ना अस्त्र थे ना सत्र हिरण्यकश्यप की छाती फाड़ कर उसका वध कर दिया ।
हिरण्यकश्यप कश्यप की वध से आकाश से फूलों की बारिश होने लगी इस तरह भगवान विष्णु की कृपा से हिरण्यकश्यप के अत्याचारों का अंत हुआ तब से लेकर अब तक हिंदू धर्म के लोग इनको बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखते हैं और धार्मिक एवं सामाजिक एकता का पर्व होली पर होलिका दहन के लिए हर चौराहे व गली मोहल्ले में लकड़ियों से बड़ी बड़ी होली सजाई जाती है वहीं बाजारों में भी होली की खूब रौनक दिखाई पड़ती है इस प्रकार इस पर्व हमें ईश्वर के प्रति अटूट भक्ति एवं निष्ठा की याद दिलाता है हमारे अंतःकरण में प्रभु प्रेम को निरंतर बढ़ाता है होली पर्व के पीछे अनेक धार्मिक मान्यताएं एवं परंपराएं हैं
सबसे महत्वपूर्ण इसमें छिपे इसकी संस्कार है यह हमें आपसे प्रेम एवं एकता सिखाते हैं होली हमें सभी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाने की प्रेरणा देती है रंग के त्योहार होने के करण हमे प्रसन्न रहने की प्रेरणा देती है इस पर्व पर हमें ईर्ष्या द्वेष कलस आदि बुराइयों को दूर करने की प्रेरणा देती है वास्तब में हमारे द्वारा होली का त्योहार मनाना तभी सार्थक होगा जब हम इसकी वास्तविक महत्व को समझ कर उसके अनुसार आचरण करें।
इसमे छुपे संस्कार और जीवन मूल्यों को अहमियत तभी व्यक्ति परिवार समाज राष्ट्र सभी का कल्याण होगा समाज में मानवी गुण स्थापित करके लोगों में प्रेम एकता एवं सद्भावना बढ़ेगी मानवीय गरिमा को समृद्धि प्रदान होगी ।
होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है?,होली का महत्व क्या है?, होली की शुरुआत कैसे हुई? इसके बारे में आपने विस्तार से इस पोस्ट के माध्यम से जाना पोस्ट अच्छा लगा तो आपने दोस्तों के साथ शेयर करें ।
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